देवदारी लौह अयस्क खान
कर्नाटक सरकार ने एमएमडीआर अधिनियम, 1957 की धारा 17क (2) के प्रावधानों के तहत केआईओसीएल लिमिटेड के पक्ष में लौह अयस्क और मैंगनीज अयस्क के लिए बेल्लारी जिले के संदूर तालुक के देवदारी रेंज में एक क्षेत्र आरक्षित करने के लिए दिनांक 23.01.2017 को अधिसूचना जारी की।
केआईओसीएल ने दिनांक 08.03.2018 को भारतीय खान ब्यूरो से खनन योजना अर्थात सांविधिक अनपत्ति, दिनांक 13.08.2021 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार से पर्यावरण अनापत्ति, दिनांक 16.12.2022 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार से वन अनापत्ति और दिनांक 27.07.2022 को कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से देवदारी लौह अयस्क खान के लिए स्थापना हेतु सम्मति प्राप्त की।
केआईओसीएल ने निदेशक, खान और भूविज्ञान, कर्नाटक सरकार के साथ देवदारी लौह अयस्क खान का खनन पट्टा विलेख निष्पादित किया। कर्नाटक सरकार ने दिनांक 02.01.2023 को लौह अयस्क और मैंगनीज अयस्क (एमएल संख्या 020/2023) के लिए 50 वर्ष की अवधि के लिए 388 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। केआईओसीएल ने दिनांक 18.01.2023 को उप-पंजीयक, संदूर तालुक, बेल्लारी जिला के कार्यालय में देवदारी लौह अयस्क खान का खनन पट्टा विलेख पंजीकृत किया है।
कर्नाटक सरकार के जल संसाधन विभाग ने दिनांक 26.07.2021 के आदेश के तहत देवदारी लौह अयस्क खान में दैनिक उपयोग के लिए तुंगभद्रा बांध के डाउनस्ट्रीम से 4 एमएलडी पानी निकालने की अनुमति दी है।
कर्नाटक सरकार ने देवदारी लौह अयस्क खान के लिए वन भूमि के डायवर्जन के लिए दिनांक 11.04.2023 को शासकीय आदेश जारी किया।
कंपनी ने 388 हेक्टेयर खनन पट्टा क्षेत्र के लिए दिनांक 11.10.2023 को आईबीएम से खान योजना में संशोधन प्राप्त किया और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार से दिनांक 09.12.2024 के पत्र के माध्यम से सड़क मार्ग से खनिजों के परिवहन के लिए मौजूदा पर्यावरण अनापत्ति शर्त में संशोधन भी प्राप्त किया।
खनन गतिविधियों को शुरू करने के लिए केआईओसीएल को परिवर्तित वन भूमि सौंपने के लिए वन विभाग के साथ वन पट्टा समझौते का निष्पादन लंबित है।
वन विभाग द्वारा केआईओसीएल को वन भूमि सौंपने पर, केआईओसीएल अन्वेषण, पुनर्ग्रहण और पुनर्वास कार्यों का कार्यान्वयन, खान विकास गतिविधियां जैसे आंतरिक सड़कों का विकास, अपशिष्ट डंप क्षेत्रों तक पहुंच मार्गों की तैयारी/विकास, बेंचों का विकास, क्रशिंग और स्क्रीनिंग इकाइयों की स्थापना, तौल पुल की स्थापना, लौह अयस्क की निकासी के लिए रेलवे साइडिंग तक पहुंच मार्ग का विकास आदि कार्य करेगा।